नई पुस्तकें >> गुरु का महत्व गुरु का महत्वशशिकांत
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भारत में गुरु-शिष्य-परंपरा सदियों नहीं, युगों पुरानी है, जो आज तक कायम है। गुरु हमेशा से सफल व्यक्तित्व, परिवार, समाज और राष्ट्र की नींव तथा रीढ़ रहे हैं।
आज भले ही कुछ ढोंगी बाबाओं के चलते गुरु-संतों को शक की दृष्टि से देखा जा रहा है, परंतु इससे जीवन में गुरु के महत्त्व और उनके योगदान को कम नहीं किया जा सकता; पर ऐसे में कई सवाल अवश्य उठते हैं, जैसे — गुरु कौन है ? क्यों आवश्यक है गुरु ? क्या पहचान है असली गुरु की ? क्या हैं असली शिष्य के लक्षण, आदि ?
यह पुस्तक आपको 44 विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरुओं के माध्यम से यह जानने में मदद तो करती ही है, साथ ही जिन्हें आप गुरु रूप में पूजते व मानते हैं, उनकी स्वयं की दृष्टि में गुरु कौन है तथा कैसे थे उनके अपने गुरु के साथ संबंध, इस विषय पर भी प्रकाश डालती है।
जीवन में आध्यात्मिक उत्थान करने का मार्ग प्रशस्त करनेवाली कृति।
आज भले ही कुछ ढोंगी बाबाओं के चलते गुरु-संतों को शक की दृष्टि से देखा जा रहा है, परंतु इससे जीवन में गुरु के महत्त्व और उनके योगदान को कम नहीं किया जा सकता; पर ऐसे में कई सवाल अवश्य उठते हैं, जैसे — गुरु कौन है ? क्यों आवश्यक है गुरु ? क्या पहचान है असली गुरु की ? क्या हैं असली शिष्य के लक्षण, आदि ?
यह पुस्तक आपको 44 विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरुओं के माध्यम से यह जानने में मदद तो करती ही है, साथ ही जिन्हें आप गुरु रूप में पूजते व मानते हैं, उनकी स्वयं की दृष्टि में गुरु कौन है तथा कैसे थे उनके अपने गुरु के साथ संबंध, इस विषय पर भी प्रकाश डालती है।
जीवन में आध्यात्मिक उत्थान करने का मार्ग प्रशस्त करनेवाली कृति।
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